Saturday, March 10, 2018

यादों की बारात हो तुम

यादों की बारात हो तुम,
दुल्हन सी सजी कोई बात हो तुम,
शामों सुबह की आज़ान हो तुम,
गर्मी की तपन की मीठी बरसात हो तुम,
ठंढे दिनों की शुनहरी धूप हो तुम,
पतझड़ मौसम की दिलकशी याद हो तुम,
नदियों झीलों यादों की लहरों पे मौजूद-
तन्हाइयो की एक किताब हो तुम,
कोरे कागज पर बना सादगी का निशब्द हो तुम,
सूरज से चुराकर, टिमटिमाती तारो की बारात ही तुम,
दुल्हन सी सजी कोई बात हो तुम,
यादों की बारात हो तुम।।
                   
                         

Friday, March 9, 2018

जिन्दगी उदास है, न जाने ये कैसी प्यास है


क्या तुम्हें याद है, उन दिनो की बात

क्या तुम्हे याद है,
उन दिनो की बात!!

कि कैसे मैं हर दिन,
किसी न किसी बहाने,
तुम्हारे सामने वाले बेंच,
पर बैठ जाता था,
और मैं अपनी आँखो से,
थोडी सरारत, वाली नजरो से
देखा करता था,
तेरी झुल्फे जो करीने से,
तुम्हारे कोमल गर्दन को छूते थे,
फिर उनके सहारे, अपनी ज़ूल्फो
के पिछे छीपकर थोडी,
गुस्ताख नजरो से मुझे देखना,

क्या तुमहे याद है,
उन दिनो की बात!!

कैसे तेरी - मेरी आंखे,
एक हो जाती थी,
कलम और नोट बूक,
के सहारे, बाते करना,
तुम अपने, दोस्तो की भीड मे,
और मैं अपनो की,
फिर ज़माने,
से छीपकर हाथ हिलाकार,
bye2 करना,

क्या तुम्हे याद है,
उन दिनो की बात!!

Thursday, March 8, 2018

मतलबी जिन्दगी


आखिर क्यो है? ये ज़िन्दगी,
कभी मौसम सी बदलती ज़िन्दगी,
कभी तनहा सी तो कभी उदास ज़िन्दगी,
कभी काटो सी बीछी,
कभी फूलो सी बीछी सफर ज़िन्दगी,
कभी रोती तो कभी मुस्कुराती  ज़िन्दगी,
कभी अकेलेपन को सिंचती ज़िन्दगी,
तो कभी अपने सपने को बूंती ज़िन्दगी,
कभी आंधियो से भी तेज भागती ज़िन्दगी,
कभी पतवार बनकर लहरो से लड़ती ज़िन्दगी,
कभी खुद से तो कभी अंजान सपनो से लड़ती ज़िन्दगी,
कभी थकना, थक के बैठ जाना,
फिर उठना और फिर से बधाओ को चिरते हुए,
सपनो को अपनी मुट्ठी मे कैद करना है ज़िन्दगी,
सच ये है कि कभी हसना कभी रोना,यही है ज़िन्दगी!!