Thursday, March 8, 2018

मतलबी जिन्दगी


आखिर क्यो है? ये ज़िन्दगी,
कभी मौसम सी बदलती ज़िन्दगी,
कभी तनहा सी तो कभी उदास ज़िन्दगी,
कभी काटो सी बीछी,
कभी फूलो सी बीछी सफर ज़िन्दगी,
कभी रोती तो कभी मुस्कुराती  ज़िन्दगी,
कभी अकेलेपन को सिंचती ज़िन्दगी,
तो कभी अपने सपने को बूंती ज़िन्दगी,
कभी आंधियो से भी तेज भागती ज़िन्दगी,
कभी पतवार बनकर लहरो से लड़ती ज़िन्दगी,
कभी खुद से तो कभी अंजान सपनो से लड़ती ज़िन्दगी,
कभी थकना, थक के बैठ जाना,
फिर उठना और फिर से बधाओ को चिरते हुए,
सपनो को अपनी मुट्ठी मे कैद करना है ज़िन्दगी,
सच ये है कि कभी हसना कभी रोना,यही है ज़िन्दगी!!

                         

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