सबकुछ है, लेकिन एक ख़ुशनुमा तन्हाई भी है,
जो मुझमें कहीं, वीरानो सी, पतझड़ सी बगीचो में,
मेरे बदन को सेकती, तुम्हारी शुष्क यादें,
जिसमें, तुम्हारे साथ के दिनों कि,
नई-पुरानी बातें, जो अनकहीं और अनसुनी
रह गई, दो बदन की अधुरी किस्से,
जैसे कलम और स्याही के शब्दों का सफ़र,
मैं डूब जाता हूँ तुम्हारी यादों की कस्ती में,
तन्हाई का सफर कर रहा हूँ, तुम्हारे जाने के बाद।।
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