Wednesday, September 13, 2017

आँखों का ठौर ठिकाना (कविता)

तुम्हारे लिए मेरे दिल की जो बात होठों तक आई नही,
बस आँशुओ से है झांकती,
सायद तुमसे कभी, मुझसे कभी
कुछ तुम्हारे लिए लफ्ज़ है।
तुम्हारी धुंधली तस्वीरों को पहनकर,
तुम्हारी यादों को बाहों में डालकर
तेरी यादों की गहरी रात में करवटें लू,
लेकिन दिल मे जो एक मीठी सी दर्द की कंदील है,
आँशुओ का समुंदर ही समुंदर है,
तुम्हारी याद जैसे मेरी आँशुओ में है तैरती,
तुम्हारी याद जो में मेरे पास बेआवाज़ है,
जिसका पता मुझे है,
जिसकी खबर तुम्हें नही है,
ज़माने से भी छुपता नही,
जाने ये कैसा प्यार है,
तेरी याद है, तेरी धुँधली सी तस्वीरें है,
जो आवाज़ है, चीख़ है,
है तो बस खामोशी है, तेरी याद है।
                          

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