कमरा तो एक ही है,
कैसे चले गुज़रा,
बीबी गई थी मायके,
लौटी नही दुबारा,
कहते है लोग मुझको,
सदी सुदा कुँआरा
रहने को घर नही,
सारा जहाँ हमारा।।
महँगाई बढ़ रही है,
मानो मुझपर ही चढ़ रही है,
चीजों के भाव सुनकर,
तबियत बिगड़ रही है,
मैं कैसे खरीदू मेवे,
मैं खुद हुआ मछुआरा,
रहने को घर नही,
सारा जहाँ हमारा।।
सुभचिंतको तुम मुझको,
नकली सूरा पिला दो,
इस महँगाई, मुफ़लिसी से,
मुक्ति तुरंत दिला दो,
भूकंप जी पधारों,
अपनी कला दिखाओ,
ऊँचे ऊँचे मकान गिराओ,
जिनके किराये है ज़्यादा,
एक झटका मारने में,
क्या जायगा तुम्हारा,
रहने को घर नही,
सारा जहाँ हमारा।।
जिसने भी सत्य बोला,
उसे मिली ना रोटी,
कपड़े उतर गए सब,
लग गई लंगौटि,
वह मरा है ठंड से,
दीवारों के सहारे,
उन दीवारों पे लिखे थे,
दो वाक़्य प्यारे प्यारे,
सारे जहाँ से अच्छा,
हिंदुस्तान हमारा,
हम बुलबुले है इसके,
गुलसिताँ हमारा,
रहने को घर नही,
सारा जहाँ हमारा।।
कैसे चले गुज़रा,
बीबी गई थी मायके,
लौटी नही दुबारा,
कहते है लोग मुझको,
सदी सुदा कुँआरा
रहने को घर नही,
सारा जहाँ हमारा।।
महँगाई बढ़ रही है,
मानो मुझपर ही चढ़ रही है,
चीजों के भाव सुनकर,
तबियत बिगड़ रही है,
मैं कैसे खरीदू मेवे,
मैं खुद हुआ मछुआरा,
रहने को घर नही,
सारा जहाँ हमारा।।
सुभचिंतको तुम मुझको,
नकली सूरा पिला दो,
इस महँगाई, मुफ़लिसी से,
मुक्ति तुरंत दिला दो,
भूकंप जी पधारों,
अपनी कला दिखाओ,
ऊँचे ऊँचे मकान गिराओ,
जिनके किराये है ज़्यादा,
एक झटका मारने में,
क्या जायगा तुम्हारा,
रहने को घर नही,
सारा जहाँ हमारा।।
जिसने भी सत्य बोला,
उसे मिली ना रोटी,
कपड़े उतर गए सब,
लग गई लंगौटि,
वह मरा है ठंड से,
दीवारों के सहारे,
उन दीवारों पे लिखे थे,
दो वाक़्य प्यारे प्यारे,
सारे जहाँ से अच्छा,
हिंदुस्तान हमारा,
हम बुलबुले है इसके,
गुलसिताँ हमारा,
रहने को घर नही,
सारा जहाँ हमारा।।
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