तुम्हे किताबों में पढूंगा।
जब किताबों को पढ़ता हूँ,
तो किताबें मुझे पढ़ने लगती हैं,
ठीक उसी तरह जैसे हर दिन पहली बार पढ़ रहा हूँ,
जैसे, अपनी प्रेमिका की दी हुई,
वो प्रेम पत्र की तरह,
कुछ पन्ने लिख कर आगे बढ़ता हूँ,
शब्द, बिल्कुल तुम्हारी तरह मुस्कुरा देते है,
फिर, मैं वापस लौट आता हूँ,
और शब्दों की रंग से रंगने लगता हूँ,
और क़िस्से कहानियों में तुम्हें पिरोने लगता हूँ,
"फ़िर"
उलझी जीवन की परतें,
खुलने और सुलझने लगती है,
ठीक प्याज़ की परतों की तरह।
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