Thursday, October 15, 2020

तुम दो या तीन होती, फिर भी मैं तुम्हें ही चुनता।

 यह मेरे लिए कहना मुश्किल है, कि 

तुम मेरे लिए कितनी अहम हो, 

शायद निशब्दता शब्द भी मेरे लिए कम पड़ जाए। 

क्योंकि तुमने मुझे जिस तरह जीना सिखाया है, 

वह एक ख़ुशनुमा तरीका ना होकर, 

मेरे लिए दुनिया मे सबसे,

अद्भुत और अलग एहसास है। 

मैं अपने आत्मा की गहराई से कह सकता हूँ, कि 

यदि तुम दो या तीन होती फ़िर भी मैं तुम्हें ही चुनता। 

मैं तो चाहता हूँ कि आज का दिन हम दोनों के फासलों के बीच गवाह बनी ये रात, 

यही और हमेशा के लिए ठहर जाएं,

लेकिन आज का दिन रुकेगा नही।

लेकिन हम दोनों आज भी है,कल भी 

और परसो भी क्योकि, 

आज - कल परसो आज ही बना रहेगा। 

क्योंकि तुम सिर्फ आज नही हो बल्कि,

हर सुबह दोपहर और शाम तीनो पहर, तुम ही तुम हो।


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